क्या आप अपने प्रोडक्टस, सर्विसेस या पर्सनल इमेज वेबसाइट, ब्लॉग या सोशल मीडिया के माध्यम से प्रमोट करना चाहते हैं? तो आपके लिए डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग किस तरह से काम करता है यह जान लेना आवश्यक हो जाता है। इस आर्टिकल में यही विषय प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
लेखक के बारे में: श्री. सदानंद कुलकर्णी ‘डिजिटल कॅनवास’ के प्रमुख हैं। वे साल 2000 से मल्टिमीडिया डिजायनर के रूप में पुणे, महाराष्ट्र में कार्यरत हैं। कमर्शियल ग्राफिक्स, रियल एस्टेट मार्केटिंग ग्राफिक्स, मार्केटिंग वीडियो प्रॉडक्शन, डिजिटल मार्केटिंग और ई लर्निंग इनका कार्यक्षेत्र है। साल 2017 में उन्होंने डिजिटल मार्केटिंग के लिए गूगल सर्टिफिकेशन भी कम्प्लीट किया है।
मार्केटिंग को बिजनेस की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। बोलने वाला व्यक्ति मिट्टी भी बेच सकता है, मगर जो गूंगा बन बैठा है उसका सोना भी कोई नहीं खरीदता। मतलब कोई बात किसी के गले उतारने के लिए, सोच समझकर, एक नीति बनाकर अपनी बात रखना, इसका महत्व हम पीढ़ियों से जानते आए हैं। आधुनिक काल में हम इसी को मार्केटिंग कहते हैं।
यह जमाना तेज प्रतिस्पर्धा का है। हम यह कह सकते हैं की, जो प्रभावी तरीके से मार्केटिंग कर सकता है, वही बिजनेस कर सकता है। पिछले गई दशकों से बिजनेस प्रमोशन के तरीके बदले नहीं थे। अपने उत्पाद, सर्विसेस लोगों तक पहुंचाने के लिए व्यावसायी न्यूज पेपर्स, रेडियो, टेलीविजन, होर्डिंज़्ग, प्रिंटेड मटेरियल, एक्सीबिशन, ट्रेड शोज, का इस्तेमाल दशकों से करते आए हैं। मतलब व्यावसाई खुद बाहर जाकर लोगों को अपने प्रोडक्टस के बारे में बताते थे। जो विज्ञापन ग्राहक तक पहुंचे है, जिनकी जानकारी अनायास उन तक पहुंची है, उन्ही में से किसी एक प्रोडक्ट को ग्राहक चुनता था। अपने प्रोडक्टस लोगों तक पहुंचाने के लिए खुद व्यावसाई अलग अलग माध्यमों से प्रयास करता है, उसे आउटबाउंड मार्केटिंग कहा जाता है।
पिछले कुछ सालों से इंटरनेट का प्रभाव जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। आज तो हम इंटरनेट पर इतने निर्भर हो चुके हैं की हजारों सालों पहले लगा पहिए का आविष्कार और कुछ सालों पहले लगा इंटरनेट का आविष्कार इन दोनों को एक जैसा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले पंद्रह बीस साल पहले ही आम आदमी के जीवन में इंटरनेट का प्रवेश हुआ है मगर आज इंटरनेट के बगैर के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इंटरनेट पर इतनी निर्भरता के कारण आज कई नई चीजें हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनी हैं। डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग यह इसी नई लाइफस्टाइल से निकला हुआ प्रोडक्ट है। जाने अनजाने में यह भी हमारे जीवन का हिस्सा बना है।
आज लोग किसी चीज को खरीदने से पहले इंटरनेट पर सर्च करते हैं, सोशल मीडिया पर रिव्यूज पढ़ते हैं, जो उत्पाद या सेवा उसे पसंद आई हैं, उपभोक्ता खुद आगे जाकर खरीदते हैं। इसे इनबाउंड मार्केटिंग कहा जाता है।
इनबाउंड मार्केटिंग में उपभोक्ता खुद ही ऐक्टिव रोल प्ले करता है। आउटबाउंड मार्केटिंग में उत्पाद बेचना व्यावसायी की प्राथमिकता होती है, मगर इनबाउंड मार्केटिंग में ‘खरीदना’ यह उपभोक्ता की प्राथमिकता होती है। मार्केटिंग के लिए चौराहे पर बड़े बड़े होर्डिंग्स लगाने के बजाए, न्यूज पेपर में विज्ञापन देने के बजाए अब डिजिटल जमाने का व्यावसाई अपनी वेबसाइट अप टु डेट रखता है, बिजिनेस प्रमोशन के लिए फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, गूगल पर ऐड्वर्टाइज़मेंट पब्लिश करता है। जिस तरह से व्यावसाई के अपने उत्पाद बेचने हैं ही, उसी तरह करोड़ों उपभोक्ताओं को उन्हे खरीदना भी हैं। मगर इन दोनों के मिलने की नई जगह इंटरनेट है।
मगर आप के बिना कुछ किए, लोग आप की वेबसाइट पर कैसे आएंगे? आप का ग्राहक आप के फ़ेसबुक पेज पर अपने आप तो नहीं आएगा। या आप के बिना कुछ किए ही आप का यूट्यूब वीडियो आपका संभावित ग्राहक कैसे देखेगा? इसके लिए आप को भी कुछ ना कुछ जरूर करना पड़ेगा। यह “कुछ ना कुछ” ही करना मगर उसके लिए एक नीति बनाना, उसका अनुसरण नियोजित पद्धति से करना, उसे लगातार मॉनिटर करते रहना, उसमें समय समय पर आवश्यक सुधार लाना यही डिजिटल मार्केटिंग है।
इनबाउंड मार्केटिंग में आपके संभावित ग्राहक खुद इंटरनेट पर प्रोडक्टस या सर्विसेस सर्च करते हैं। इसलिए यह जरूरी है की उपभोक्ता जब इंटरनेट पर सर्च करता है, तब आप का ब्रांड, आप के उत्पाद या सेवाएं उनकी नजर के सामने आनी चाहिए। इससे बाद ही आपका संभावित ग्राहक आप की वेबसाइट विजिट कर सकता है या आप का फ़ेसबुक पेज देख सकता है वहीं से आप को मेसेज कर सकता है। आप के प्रोडक्टस के बारे में दूसरे लोगों ने लिखे रिव्यूज पढ़ सकता है। ईस तरह से एक दूसरे से अपरिचित व्यावसाई और उपभोक्ता एक दूसरे के संपर्क में आ सकते हैं। वह उसी समय या आगे चलकर वह आप का ग्राहक भी बन सकता है। आप का अपरिचित ग्राहक आप के शहर में या विदेश में भी हो सकता है। किसी भी बिजनेस में उत्पाद, सेवाएं और संभावित ग्राहक इनका एक दूसरे से परिचय होना, वहाँ से लीड जनरेट होना यह स्टेप सबसे इम्पॉर्टन्ट होती है। इनबाउंड मार्केटिंग में यह प्रोसेस अनायास पूरी हो जाती है।
मान लीजिए की आप को मोबाइल फोन खरीदना है, किसी टूरिस्ट प्लेस पर होटल में कमरा बुक करना है या आप के आसपास ही कोई डेन्टिस्ट आप को खोजना है, बच्चों के कोचिंग क्लास लगाना है, उद्देश्य कोई भी हो, अब लोग पहले जैसे किसी को पूछते नहीं है, या सलाह मशवरा नहीं करते हैं। वे सीधा जेब से मोबाइल फोन निकालते हैं और सर्च करना शुरू करते हैं। सर्च करने के लिए अलग अलग किवर्ड्स टाइप करते हैं। सर्च रिजल्ट में दिखाए जानेवाले पहले पाँच दस वेब पेजेस वे देखते हैं। वहीं से कुछ वेबसाइट को वे विजिट करते हैं और उन्ही में से किसी एक को वे बिजनेस दे देते हैं। आज के डिजिटल जमाने का यह आम घटनाक्रम है।
डिजिटल मार्केटिंग के बारे में की गई एक स्टडी से पता चला है की 65% केसेस में, सर्च रिजल्ट में दिखाए जाने वाले पहले तीन पेजेस देखकर ही लोग अपना निर्णय लेते हैं। इसका मतलब सीधा है, कीवर्ड देकर सर्च करने के बाद जिन लोगों की वेबसाइट पहले तीन पेजेस में होती है, वे डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से अच्छा खासा बिजनेस पाते हैं।
इस पद्धति से जिन्हे बिजनस मिलता है, वह बड़े बड़े फेमस ब्रांडस हो सकते हैं, या फिर आप ही के शहर के डॉक्टर, फोटोग्राफर, ब्यूटिशियन इन जैसे लोकल बिजनसमन या बिजनस वुमन हो सकती हैं। इसलिए जब कोई आप के बिजनेस से संबंधित किवर्ड्स देकर सर्च करता है, तो आप की वेबसाइट कम से कम पहले तीन पेजेस पर उन्हे दिखना जरूरी है। डिजिटल मार्केटिंग करने के लिए आगे जाने से पहले हमें अपने आप से पूछना चाहिए की ‘मैं कहाँ हूँ?’ क्या मेरी वेबसाइट पहले तीन, पाँच, दस पेजेस में दिखाई जाती है? आप कहाँ है यह एक बार समझ में आने के बाद ही आप यह तय कर सकते हैं की आप को आगे और कहाँ तक जाना है और उसके लिए आप की रणनीति क्या होनी चाहिए।
जब हम किसी उत्पाद या सेवा खरीदने के लिए इंटरनेट पर सर्च करते हैं, तब हमें कई सर्च रिजल्ट्स एकसाथ दिखाए जाते हैं। उनमे कुछ ऑर्गैनिक सर्च रिजल्ट और कुछ पेड़ ऐड्वर्टाइज़मेंटस होती हैं। जो पेड़ ऐड्वर्टाइज़मेंटस होती हैं, उनके सामने Ad लिखा होता है।
सर्च इंजन को पैसे देकर इस तरह की ऐड्वर्टाइज़मेंटस पब्लिश की जाती हैं। इसे सर्च इंजन मार्केटिंग कहा जाता है। इनके अलावा दिखाए गए सभी रिजल्ट्स यह ऑर्गैनिक सर्च रिजल्ट्स होते हैं। ऑर्गैनिक सर्च रिजल्ट्स उस पोजीशन पर दिखाने के लिए गूगल या इस तरह के सर्च इंजिन के लिए एक रुपया भी नहीं देना पड़ता है। मतलब अगर आप अपनी वेबसाइट सर्च रिजल्ट में अच्छी पोजीशन पर दिखाना चाहते हैं, तो आप के पास दो ऑप्शन हैं, पेड़ ऐड्वर्टाइज़मेंटस याने सर्च इंजन मार्केटिंग (SEM) या फ्री ऑर्गैनिक रैंकिंग। फ्री ऑर्गैनिक रैंकिंग के सहारे अच्छी पोजीशन पर वेबसाइट लाने के लिए नियोजनबद्ध तरीके से सर्च इंजन ऑप्टिमायजेशन (SEO) करना पड़ता है। SEO के माध्यम से वेबसाइट की रैंकिंग सुधारने के लिए लंबी अवधि तक काम करना पड़ता है। मगर एक बार सर्च रिजल्ट में अच्छी रैंकिंग मिलने के बाद आप का डिजिटल मार्केटिंग का सबसे बड़ा और खर्चीला काम पूरी तरह से मुफ़्त में होने लगता है। इसलिए हर एक बिजनस ओनर या प्रोफेशनल का लॉंग टर्म के लिए यही लक्ष्य होना चाहिए की मुझे अपनी वेबसाइट सर्च रिजल्ट्स में पहले स्थान पर लानी है।
जो लोग डिजिटल मार्केटिंग के कार्यपद्धति से परिचित नहीं है, शायद उन्हे लग सकता है की डिजिटल मार्केटिंग कोई जालसाजी या चीटिंग वाला काम है, जिसे कुछ फंडे आजमाकर, जुगाड़ बनाकर सर्च इंजन को धोखा देकर आसानी से किया जा सकता है। मगर हमें ध्यान में रखना होगा की डिजिटल मार्केटिंग यह योजनाबद्ध नीति बनाकर, उसका प्रामाणिक अनुसरण करने का, उसमें आवश्यकता के अनुसार बदलाव करने का विषय है। इसमें आप के उत्पादों की गुणवत्ता तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही मानवी स्वभाव, और संभावित ग्राहक इंटरनेट पर किस तरह से वर्तन कर सकता है इन बातों को समझने की आपकी योग्यता, उसका विश्लेषण करके अपनी व्यावसायिक व्यूहरचना बनाने का आप का कौशल और की गई मेहनत का फल पाने के लिए संयम रखना इन जैसी कई बातों की परीक्षा आप को लंबी अवधि तक देनी होती है।
सर्च इंजन ऑप्टिमायजेशन की अहमियत अब हमने जानी है। इसे दो पद्धतिसे, दो जगहों पर किया जाता है। ऑन पेज ऑप्टिमायजेशन और ऑफ पेज ऑप्टिमायजेशन। ऑन पेज ऑप्टिमायजेशन यह एक टेक्निकल प्रोसेस है। इसे वेबसाइट बनाते समय ही किया जाता है। ऑन पेज ऑप्टिमायजेशन के लिए कई सर्च इंजन्स और इंटेरनेट से जुड़ी कई संस्थाओं ने गाइडलाइंस निर्धारित की हैं। इनका पालन वेबसाइट डिजाइन करते समय ही करना पड़ता है। इसमें वेबपेज यूआरएल का स्ट्रक्चर, वेबपेज का टाइटल, पेज का मेटा डिस्क्रिप्शन, वेबपेज के टेक्स्ट कंटेन्ट में किवर्ड्स की सही मात्रा में मौजूदगी, इमेजेस के आल्ट टैग्स, टाइटल टैग्स, पेजेस की इंटरलिंकिंग इन जैसी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। इसके साथ ही पेज का लोडिंग टाइम, रीस्पान्सिव वेब डिज़ाइनिंग, वेबसाइट और यूजर्स की सिक्युरिटी यह बातें भी ऑन पेज ऑन पेज ऑप्टीमायजेशन के महत्वपूर्ण अंग हैं।
इन गाइडलाइंस को वेबसाइट बनते समय और एक बार ही फॉलो करना पड़ता है। प्रोफेशनल वेब डिजायनर्स इन बातों को फॉलो करते ही हैं, अगर आप खुद अपनी वेबसाइट डिजाइन करना चाहते हैं तो इन्हे समझ लेना और उनका अनुसरण करना काफी महत्वपूर्ण है।
ऑन पेज ऑप्टीमायजेशन यह तकनीकी बातों की आपूर्ति है, जिसे आप को अपनी वेबसाइट पर करना है। मगर ऑफ पेज ऑप्टीमायजेशन आप के वेबसाइट विजिटर्स, आप के ऑनलाइन फॉलोअर्स करते हैं। आपकी वेबसाइट को विज़िट करने वाले लोग वेबसाइट पर कितनी देर तक ठहरते हैं, वे फिर से वेबसाइट विजिट करते हैं या नहीं, वेबसाइट के साथ उनकी एंगेजमेंट कैसी है, वे वेबसाइट पर रखा ब्रोशर या इन जैसा डॉक्युमेंट डाउनलोड करते हैं या नहीं, वे वेबसाइट से कान्टैक्ट फॉर्म सबमिट करते हैं या नहीं, वे अपने सोशल हँडल्स पर आप की वेबसाइट शेयर करते हैं या नहीं, वेबसाइट के साथ लिंक किए गए आप के सोशल मीडिया चैनल्स पर क्या गतिविधियां हो रही हैं, लोग वहाँ किस तरह के कॉमेंट्स करते हैं, वे आप की पोस्ट्स लाइक करते हैं, शेयर करते हैं या नहीं इस तरह की कई बातों पर ऑफ पेज ऑप्टीमायजेशन का स्कोर निर्भर होता है।
कुछ सालों पहले आप की वेबसाइट कहाँ कहाँ शेयर की गई है इस बात की बड़ी अहमियत थी। जिसे बैक लिंक्स कहा जाता था। मगर इससे पुअर क्वालिटी, पेड़ लिंक बिल्डिंग जैसे फ्रॉड होने लगे। इसके चलते अब गूगल जैसे प्रमुख सर्च इंजन बैक लिंक्स के बजाय यूजर एंगेजमेंट को अहमियत देने लगे हैं। वेबसाइट विजिटर की वेबसाइट के साथ एन्गैजमेंट बढ़ाने के लिए क्वालिटी कंटेन्ट लिखना, उसे वेबसाइट यूजर की नजर से देखना, वेबसाइट का स्ट्रक्चर और नाविगेशन आसान बनाना आवश्यक है। इसे वेब डिजायनिंग की भाषा में मोटे तौर पर यूजर इंटेरफेस और यूजर एक्सपीरियंस (UI & UX) कहा जाता है। UI और UX जितना बेहतर होगा, SEO में उसका फायदा ही होगा।
युजर एंगेजमेंट यह आज सर्च इंजन ऑप्टिमायजेशन के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है. युजर एंगेजमेंट बढाने के लिए नॉलेज शेअरिंग यह सबसे अच्छा तरिका है। हमारे सभी व्यवसाय लोगों व्दारा लोगों के लिए किए जाते हैं। हर बिजनेस में कई ऐसी बातें हो सकती हैं, जिनमें लोगों को रुचि हो सकती है। ऐसी कई बातें आप अपनी वेबसाइट पर एक ब्लॉग चलाकर लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं। अगर आप एक ब्यूटीशियन हैं तो अलग-अलग मौसम मैं सुंदरता निखारने के लिए आप टिप्स दे सकती हैं। अगर आप कॉम्प्युटर सेल्स और सर्विसिंग बिजनेस में हैं तो आप नई टेक्नॉलजी, उसके फायदे, कंप्युटर से रिलेटेड छोटे छोटे इशूज कैसे सॉल्व करें यह जानकारी आप ब्लॉग में लिख सकते हैं। उन आर्टिकल्स की लिंक आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर, व्हाट्सअप ग्रुप्स में शेयर कर सकते हैं। जहां भी, किसी भी तरह की उपयुक्त जानकारी होती है लोग उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर, व्हाट्सअप मेसेज के साथ शेयर करते हैं। इससे आपके वेबसाइट पर विजिटर्स की संख्या बढ़ने लगती है। इसका फायदा आपको ऑफलाइन पेज ऑप्टिमाइजेशन में हो सकता है।
ऑन पेज ऑप्टिमाइजेशन की गाइडलाइंस फिक्स होती हैं। उनका पालन वेबसाइट पर सिर्फ एक बार करना होता है मगर ऑफ पेज ऑप्टिमाइजेशन यह यूजर इंगेजमेंट और सोशल शेयरिंग के आधार पर चलने वाली एक निरंतर प्रक्रिया है उसे उसी तरह से चलाए रखने के लिए क्वालिटी कंटेंट लिखना, वेबसाइट विजिटर्स को उपयुक्त इंफॉर्मेशन देते रहना, उन्हे वेबसाइट शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करना इन जैसी कई बातें तो आप ही के हाथ में है। तो कुल मिलाकर ऑन पेज ऑप्टिमाइजेशन और ऑफ पेज ऑप्टिमाइजेशन इन दोनों की कुंजियां आपके हाथ में हैं। जो लोग इन दोनों फ्रंट पर अच्छी तरह से काम करते हैं, वह कुछ समय के बाद बिना एक पैसा खर्च किए अपनी वेबसाइट सर्च इंजन मैं अच्छी पोजीशन पर ले आ सकते हैं। मगर इस तरह से सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन का इस्तेमाल करके वेबसाइट की रैंक बढ़ाने में कई महीने या एक दो साल लग सकते हैं मगर यह सक्सेस लॉन्ग टर्म के लिए होता है।
सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के सहारे वेबसाइट अच्छी पोजीशन पर लाने के लिए कड़ी मेहनत और अधिक समय देना पड़ता है। अगर आप की वेबसाइट नई है, उसे हाल ही में पब्लिश किया गया है और आप उसे तुरंत अच्छी पोजीशन पर दिखाना चाहते हैं तो आप सर्च इंजन मार्केटिंग का सहारा ले सकते हैं। सर्च इंजन मार्केटिंग ‘पे पर क्लिक’ बेसिस पर काम करता है। आपके एडवर्टाइजमेंट पर जब कोई क्लिक करता है तभी आपको उसके पैसे देने होते हैं। सर्च इंजन मार्केटिंग के लिए गूगल ने गूगल एड्स इसी नाम का एक प्लेटफार्म डेवलप किया है। आपके प्रोडक्ट्स या सर्विसेस लोग किन कीवर्ड्स का इस्तेमाल करके सर्च करते हैं इसकी जानकारी आपको गूगल के तरफ से मिल सकती है। उन कीवर्ड्स का इस्तेमाल पिछले एक दो महीने में या एक साल में कितनी बार आपके शहर में, राज्य में, देश में या पुरी दुनिया में किया गया है इसका विस्तृत डाटा आपको गूगल की तरफ से मिल जाता है। इसके आधार पर आप अपना एडवरटाइजमेंट कैंपेन चला सकते हैं।
जब लोग उस कीवर्ड से सर्च करेंगे तो आप की वेबसाइट सर्च रिजल्ट में दिखाई जाएगी। जब उस लिंक पर कोई क्लिक करता है और आप की वेबसाइट विजिट करता है, तभी आप को उस एक क्लिक के पैसे देने पड़ेंगे। इस तरह से आप के वेबसाइट का पेड़ प्रमोशन सर्च इंजन पर किया जाता है, इसे ही सर्च इंजन मार्केटिंग कहा जाता है। सर्च इंजन में वेबसाइट प्रमोट करने के लिए आपको अपनी बोली लगानी पड़ती है। एक क्लिक के लिए आप कितना पैसा खर्च करना चाहते है इसकी यह बोली होती है। इसे कीवर्ड ऑक्शन भी कहा जाता है। इसके साथ आप अपना डेली बजट भी तय कर सकते हैं, जो कम से कम 500 पर डे रुपये हो सकता है। आपका डेली बजट, एक क्लिक के लिए आप ने लगाई बोली और आपके ऐड का क्वालिटी स्कोअर इसके आधार पर आप की वेबसाईट सर्च इंजन मे कौन से पोजीशन पर दिखाई जाएगी यह सर्च इंजन तय करता है। गूगल ऐडस सर्च इंजन के साथ यूट्यूब और मोबाइल एप्स में भी दिखाई जाती हैं। इनके लिए आप को अलग कैम्पेन सेट करने पड़ते हैं। यूट्यूब पर आप वीडियो ऐडस दिखा सकते हैं। यह ऐडस कॉस्ट पर व्यू और कॉस्ट पर माइल के हिसाब से दिखाई जाती हैं। मोबाइल एप्स में दिखाई जाने वाली ऐडस भी कोस्ट पर क्लिक बेसिस पर होती हैं। सर्च इंजिन, यूट्यूब और एप्स पर दिखाई जानेवाली ऐडस का मैनेजमेंट ‘गूगल ऐडस’ एक ही सिस्टम के अंदर किया जाता है।
पारंपारिक तरीके से न्यूजपेपर, होर्डिंग या रेडिओ पर जब आप अपना कँपेन चलाते हैं, तब लोग आपकी ऐड सिर्फ देख सकते या सुन सकते है। वे उसी समय आपके प्रोडक्ट्स नही खरीद सकते हैं, या आपके साथ कनेक्ट भी नही हो सकते हैं और ना ही आप के बारे में वे ज्यादा जानकारी ले सकते हैं। पारंपरिक विज्ञापन पद्धति में यह संभव ही नहीं है। मान लीजिए की आप ने न्यूज पेपर ऐड पब्लिश की है, जिसका सरक्युलेशन एक लाख है। उस ऐड के लिए आप ने दस हजार रुपये खर्च किए हैं और आप की ऐड दस हजार लोगों की नजर में आई है। मगर वह सभी दस हजार लोग आप के प्रोडक्ट में रुचि नहीं दिखाते हैं। उनमे से 100 लोग ही आप के पोटेन्सियल कस्टमर हो सकते हैं, उनमें से 10 लोग आगे चलकर आप को बिजनेस देते हैं।
इसके विपरीत सर्च इंजन मार्केटिंग काम करता है। मान लीजिए की आपकी एडवर्टाइजमेंट 10000 लोगों को दिखाई गई है और उनमें से सिर्फ 100 लोगों ने उस पर क्लिक किया है तो आपको सिर्फ उन्हीं 100 क्लिक्स के पैसे देने होंगे। न्यूज पेपर ऐड की तुलना में यह कॉस्ट कई गुना कम होती है।
दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की आपका संभावित ग्राहक खरीदने के लिए तैयार होकर बैठा होता है। अगर आपके प्रोडक्ट्स या सर्विसेस उसे पसंद आई तो वह तुरंत खरीद लेता है। इंटरनेट पर प्रोडक्ट्स सर्च करना, सर्च रिजल्ट में उसे आपकी वेबसाइट नजर आना , आपकी वेबसाइट पर उसका लँड होना और अंत में आपको बिजनेस मिलना यह प्रक्रिया कुछ ही मिनट्स में पूरी हो जाती है। अगर वह ऑर्गेनिक सर्च रिजल्ट देखकर आप की वेबसाइट पर आया होगा तो इस कन्वर्शन के लिए आप ने एक पैसा भी खर्च नहीं किया होगा। अगर वह पैड ऐड्वर्टाइज़मेंट पर क्लिक करके आप के वेबसाइट पर आया होगा तो भी उसके लिए आप ने बिल्कुल कम पैसे खर्च किए होंगे। यही डिजिटल मार्केटिंग की सबसे बड़ी पावर है।
साल 2019 के अंत तक भारत में 50 करोड़ से ज्यादा लोग स्मार्ट फोन्स का इस्तेमाल करते थे। 2022 तक यह संख्या 80 करोड़ के पार जाएगी। ग्लोबल वेब इंडेक्स इस जाने माने अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार 2019 में भारतीय लोग रोज 2 घंटे 24 मिनट सोशल मीडिया पर गुजारते हैं। यह दोनों अलग अलग सर्वे हैं मगर इनसे एक बात स्पष्ट हो गई है की भारत में स्मार्ट फोन्स और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कितनी तेजी से बढ़ा है और व्यापक हुआ है। भारत में फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब यह सोशल मीडिया सबसे पोपुलर हैं। जब इतनी बड़ी आबादी इतना ज्यादा टाइम हररोज सोशल मीडिया पर बिताती हैं, तो मार्केटिंग करने के यह इतना बड़ा वॉल्यूम किस को नहीं लुभाएगा? फ़ेसबुक वाल और ग्रुप्स में पोस्ट लिखकर अपने बिजनेस का या पर्सनल इमेज का फ्री प्रमोशन तो आज हर कोई करने लगा है। मगर इस तरह से अपने फ्रेंड्स या ग्रुप में पोस्ट लिखकर प्रमोशन करने की कई मर्यादाएं हैं।
उन्ही लोगों बार बार आप की पोस्ट देखाने से बिजनस प्रमोशन उतने व्यापक स्तर पर नहीं होगा जितना आप चाहते हैं। इसके लिए आप पेड़ प्रमोशन कर सकते हैं। फ़ेसबुक की भाषा में इसे स्पॉन्सर्ड पोस्ट कहा जाता है। आप के प्रोडक्टस या सर्विसेस में कितने लोग रुचि रखते हैं, इसकी पूरी जानकारी फ़ेसबुक के पास होती है। लोग किन पोस्ट पर कॉमेंट करते हैं, किन पोस्ट को शेयर करते हैं, इन जैसे कई पैरामिटर्स लगाकर फ़ेसबुक अपने यूजर्स की केटेगरीज बनाता है। अगर आप अपना प्रोडक्ट अपने राज्य में ही बेचना चाहते हैं तो आप के राज्य में ऐसे कितने लोग हैं जो आप जैसे प्रोडक्ट में इंटेरेस्ट रखते हैं उनकी संख्या फ़ेसबुक आप को बताता है। ऐसे यूजर्स की संख्या लाखों में या करोड़ों मे हो सकती है। फ़ेसबुक पर ‘स्पॉन्सर्ड पोस्ट’ पब्लिश करने के लिए आप को पहले अपना फ़ेसबुक पेज बनाना पड़ेगा। उसके बाद आप को ‘फ़ेसबुक बिजनेस मैनेजर अकाउंट’ ऐक्टवैट करना पड़ेगा। जो पोस्ट आप अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखते हैं उसी को आप एक पेड़ ऐड की तरह याने ‘स्पॉन्सर्ड पोस्ट’ के नाम से लाखों, करोड़ों लोगों को दिखा सकते हैं, जिन्हे आप के प्रोडक्ट या सर्विसेस में इंटेरेस्ट हो सकता है। ‘स्पॉन्सर्ड पोस्ट’ के लिए भी आप को ‘गूगल ऐडस’ की तरह ‘पे पर क्लिक’ के लिए बोली लगानी पड़ती है, और डेली बजट सेट करना पड़ता है। जब कोई फ़ेसबुक यूजर आप की पोस्ट पर क्लिक करता है, तो वह आप की वेबसाइट या फ़ेसबुक पेज पर लँड हो जाता है। उसी क्लिक के लिए आप को पैसे देने होते हैं। इंस्टाग्राम इस प्लेटफॉर्म की ओनरशिप भी फ़ेसबुक के पास है, इसलिए आप फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर एकसाथ ऐड चला सकते हैं। व्हाट्सअप की ओनरशिप भी फ़ेसबुक के पास है। फ़ेसबुक ऐडस व्हाट्सअप पर भी दिखाने की फ़ेसबुक की योजना है। निकट भविष्य में हमें व्हाट्सअप पर भी ऐडस देखने को मिलेगी। इसके बाद तो ऑनलाइन ऐडस का पूरा माहोल ही बदल जाएगा।
डिजिटल मार्केटिंग सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन पे पर क्लिक इन जैसे शब्द जब कोई पहली बार सुनता है तो उसका थोड़ा विचलित होना स्वाभाविक है। डिजिटल मार्केटिंग के लिए आप किसी प्रोफेशनल कन्सल्टन्ट के पास भी जा सकते हैं। मगर वहां जाने से पहले डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया मार्केटिंग किस तरह से काम करता है यह समझ लेना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। अपना डिजिटल मार्केटिंग आप खुद भी कर सकते हैं। इसके लिए हाई टेक सिस्टम पहले तय्यार है। आप को बस अपनी ऐडस बनाना है, अपना टार्गेट ऑडीयन्स सेट करना है, बोली लगाना है और पेमेंट करना है। इंटरनेट या सोशल मीडिया से संबंधित कंपनियां यही चाहती है की एंड यूजर ही उनका सीधा इस्तेमाल करें। इसीलिए वे निरंतर अपनी सर्विसेस ज्यादा से ज्यादा यूजर फ्रेंडली बनाने की कोशिश करते रहते हैं। गूगल, फ़ेसबुक इन जैसे प्लेटफॉर्म ने डिजिटल मार्केटिंग आम लोगों तक पहुंचाने के लिए, उन्हे प्रशिक्षित करने के लिए ढेर सारी ऑनलाइन सामग्री फ्री उपलब्ध कराई है। इनके स्टेप बाई स्टेप ट्यूटोरियल्स देखकर और असाइनमेंट्स कम्प्लीट करके आप सर्च इंजन मार्केटिंग और सोशल मीडिया मार्केटिंग का इन डेप्थ नॉलेज पा सकते हैं। उनकी ऑनलाइन परीक्षाएं देकर आप अधिकृत सर्टिफिकेट भी पा सकते हैं।
मैं एक छोटा कारोबारी हूं मैं डिजिटल मार्केटिंग मेरे लिए नहीं है, यह बड़े ब्रांडस के लिए ही ठीक है, इस तरह से अगर आज का कोई कारोबारी विचार करता होगा तो उसे तुरंत सावधान होना चाहिए। इंटरनेट की सहज और सस्ती उपलब्धता और स्मार्टफोंस का बढ़ता बाजार इन बातों ने डिजिटल मार्केटिंग के लिए काफी पोषक वातावरण तय्यार किया है। अगले कुछ सालों से डिजिटल मार्केटिंग यह मार्केटिंग की सबसे बड़ी ब्रांच के रूप में विकसित होने वाली है। आप किसी भी प्रकार का बिजनेस चलाते हैं, या आप के पास कोई आयडिया है, जिसे आप लाखों लोगों तक आसानी से कम लागत में पहुंचाना चाहते हैं या आप मार्केटिंग फील्ड में करियर करना चाहते हैं, तो डिजिटल मार्केटिंग को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते। क्यों की मार्केटिंग का भविष्य ही डिजिटल मार्केटिंग के साथ जुड़ा है। इसे जितनी जल्दी अपनाया जाए उतनी तेजी के साथ तरक्की हो जाएगी।
सदानंद कुलकर्णी
sadanandrkulkarni@gmail.com
Copyright 2021 All rights reserved